ज़िन्दगी गुलज़ार है
२६ मार्च – ज़ारून
कितनी ज़िद्दी है ये लड़की और कितना बेवकूफ़ हूँ मैं, जो
फिर उससे मिलने चला गया और फिर अहमकों की तरह सारा दिन उससे मुलक़ात का इंतज़ार करता
था, ये जानते हुये कि वो मुझे जानबूझकर इंतज़ार करवा रही है.
शर्म आ रही है मुझे अपने आप पर कि मैं क्या था और क्या हो गया हूँ. मैं एक लड़की से
इस क़दर इन्सल्ट करवा रहा हूँ और वो भी उससे जिसकी कोई हैसियत नहीं है. कॉलेज में
मुझे उस पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था, मगर मैंने उस पर हाथ
उठाया और आज मुझे उसको मुँह तोड़ जवाब देना चाहिए था, मगर मैं
ऐसे ही आ गया.
किस क़दर ज़हरीले थे उसके अल्फ़ाज़. काश वो जान पाती मेरे किये वो अज़ाब
(दर्द,
पीड़ा) बन गई है. कभी-कभी सोचता हूँ कि जिस शिद्दत से मैं उसका ज़िक्र
करने लगा हूँ, कहीं मेरा नर्वस ब्रेकडाउन ही ना हो जाये.
मैं जानता हूँ, मैं
उसे मुहब्बत नहीं करता क्योंकि वो इस क़ाबिल ही नहीं है. मेरे जैसा मर्द इतनी आम
लड़की से शादी या मुहब्बत कैसे कर सकता है? हाँ, मेरा दिल चाहता है मैं उसे कोई ऐसी तकलीफ या नुक्सान पहुँचाऊं, जो वो सारी ज़िन्दगी याद रखे.
shahil khan
20-Mar-2023 07:04 PM
nice
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Radhika
09-Mar-2023 04:23 PM
Nice
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Alka jain
09-Mar-2023 04:10 PM
बहुत खूब
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